Speech on Madhur Bhasan



कबीर ने कहा है "शब्द सम्हारे बोलिए शब्द के हाथ न पाँव , एक शब्द औषदी करे एक करे घाव |"

नमस्कार मैं नियति सिंह (आप अपना नाम का प्रयोग करे ) आज आप सबके समक्ष मधुर भाषण पे कुछ शब्द कहेना चाहती हूँ | 

मधुर भाषण यानी मीठी वाणी | हमें बाल्यावस्था से ही मधुर भाषण कहने के लिए प्रेरित किया जाता है , पर क्या
यह सचमुच जरूरी है ? जी  हां | उदहारण के लिए : हमने पाठ टोपी शुक्ला में टोपी और इफ्फनके बारे में जाना | हमने पाठक के रूप में टोपी का अपनी दादी के प्रति नफ़रत और इफ्फन की दादी के प्रति प्रेम के बारे में भी जाना | तो इसका मूल कारन क्या था ? इश्क मूल कारन था उनकी बोली में अंतर | इफ्फन की दादी की बोली गुर के डली , तिलवा के सामान मीठी थी ठीक उसके विपरीत टोपी की दादी की बोली कड़वी थी |

एक इंसान के अंदर मानवता का होना बहुत  आधिक जरूरी है और मानवता की सबसे पहली पर अहम् सीढ़ी है मधुर भाषण | एक इंशान मधुर भाषण के बिना उतना ही अकेला या फ़ीका है जितना चाय चीनी के बिना | 

एक आशा एक उम्मीद के साथ ये अंत करते हुए मई बस इतना कहना चाहती हूँ मीठे बोल बोलते रहो लोगों के दिल जीतेते रहो |

धनयवाद|

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