मंजिल की ओर


















यात्री तेरी मंजिल तुझसे दूर नहीं ,
करीब है आ  पहुँचा तू ,
देख  यात्री ,

उठाकर अपनी आँखे ,
तेरी मंजिल तुझसे दूर नहीं |

कर दे अनसुना उनको ,
जो ले जा रहे मंजिल से दूर ,
पर क्या पाया किसीने अकेला ,
सबसे मिल कर ही तो सब कुछ पाया |

आज हारा तो क्या हुआ ,
मंजिल तो नज़दीक है |

जगा अपने आत्मविश्वाश को ,
सुला दे हार को | 
-नियति सिंह


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